मेरे तरकस में भी,
तीर कई है बाकी,
उड़ने दो परिंदों को भी,
जिनमें जान अभी है बाकी,
होगा सामना जब उनका,
हम जैसे शेरों से भी,
तो रह जाएगी ख्वाहिशें,
सिर्फ उनकी बाकी।
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