21 मई 2023

Face without Fear


      मेरे तरकस में भी, 

तीर कई है बाकी, 

उड़ने दो परिंदों को भी,

 जिनमें जान अभी है बाकी,

 होगा सामना जब उनका,

 हम जैसे शेरों से भी,

 तो रह जाएगी ख्वाहिशें,

सिर्फ  उनकी बाकी।




यह रचना Face without Fear आपको कैसी लगी आप हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताये और इसे अपने दोस्तों मैं शेयर कीजिए |


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Face without Fear

      मेरे तरकस में भी,  तीर कई है बाकी,  उड़ने दो परिंदों को भी,  जिनमें जान अभी है बाकी,  होगा सामना जब उनका,  हम जैसे शेरों से भी,  तो रह...